ब्यूरो
जैश-ए-मोहम्मद समेत तमाम आतंकवादी संगठनों को देश में पनाह देने के लिए कुख्यात पाकिस्तान नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। इमरान खान की सरकार ने मोबाइल नेटवर्क की कवरेज को जम्मू-कश्मीर तक बढ़ाने का प्लान तैयार किया है।
नई दिल्ली में एक शीर्ष सुरक्षा अधिकारी के अनुसार, पाकिस्तान में मौजूदा टेलीकॉम टावरों को ठीक करने और नए का निर्माण करने की योजना पर लगभग एक साल से काम चल रहा है। इसकी शुरुआत कश्मीर में घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों की मदद करने के लिए मौजूदा नेटवर्क को मजबूत बनाने के इरादे से की गई थी, लेकिन पिछले साल पांच अगस्त के बाद कश्मीर में संचार पर लगाए गए प्रतिबंध के बाद पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने इससे अन्य फायदे उठाने की योजना पर काम शुरू किया। पाकिस्तान चाहता है कि कश्मीरी पाकिस्तानी टेलीकॉम सेवाओं का प्रयोग करें, जिन्हें भारतीय सेना ब्लॉक न कर सके।
पिछले साल, केंद्र सरकार ने ऐतिहासिक फैसला करते हुए जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को समाप्त कर दिया था। उस दौरान सरकार ने इंटरनेट सेवाओं को भी प्रतिबंधित कर दिया था, ताकि कोई सोशल मीडिया के जरिए से अफवाहें न फैला सके। तब से ज्यादातर प्रतिबंधों को तो हटा दिया गया है, लेकिन स्थानीय सुरक्षा अधिकारी अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए कुछ समय तक फोन लिंक पर ध्यान दिया है। एक टॉप नेशनल सिक्योरिटी प्लानर ने बताया कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र में टेलीकॉम सेवाएं पहुंचाने वाले स्पेशल कम्युनिकेशंज ऑर्गनाइजेशन ने भारत के साथ लगने वाली सीमा और एलओसी के साथ 38 साइटों में सिग्नल का विश्लेषण किया है। विश्लेषण के मुताबिक, उद्देश्य को पूरा करने के लिए 18 जगहों पर जीएसएम एंटीना की फिर से जरूरत होगी।
वहीं, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई भी पीओके में एससीओ मोबाइल टावरों की सिग्नल स्ट्रेंथ को बढ़ाने के लिए जोर दे रही है, जैसे कि बारामुला में चाम के सामने, सोपोर के विपरीत लेप मे, अपर नीलम वैली, कुपवाड़ा के सामने अठमुकम और श्रीनगर के सामने हिलन मीरा आदि जगह शामिल हैं। इसके अलावा, पाकिस्तानी सेना द्वारा मेंटेन किए जाने वाला एससीओ जम्मू-कश्मीर में टीवी कवरेज बढ़ाने के लिए मुजफ्फराबाद के नजदीक लवत, अपर नीलम और खुईराता में स्थित टीवी टावरों की ट्रांसमिशन पावर को बढ़ा रहा है।