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बच्चों के अभिभावकों ने खटखटाया राष्ट्रीय मानवाधिकार का दरवाजा !

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संवाददाता निकिता शर्मा 

कोरोना संकट के चलते 15 मार्च से प्रदेश में बंद चल रहे स्कूलों के कारण बच्चों का मानसिक विकास नहीं होने का मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तक पहुंच गया है। जयपुर निवासी एक अभिभावक ने आयोग के समक्ष इस मामले को उठाते हुए सोलन के एक निजी स्कूल से उन्हें फीस वापस दिलाने की गुहार लगाई है। अभिभावक ने कहा है कि ऑनलाइन पढ़ाई के चलते बच्चे का मानसिक विकास नहीं हो रहा है। मानवाधिकार आयोग ने आगामी कार्यवाही के लिए प्रदेश के शिक्षा सचिव राजीव शर्मा को यह मामला भेजा है। आयोग से पत्र मिलते ही महकमा मंथन में जुट गया है। निजी स्कूलों की बहुत अधिक फीस को लेकर अभी तक सरकार के पास कई शिकायतें आई हैं।

हिमाचल हाईकोर्ट में भी इस तरह के मामले पहुंचे हैं। अब इस नए मामले में अभिभावक ने राष्ट्रीय मानवाधिकार का दरवाजा खटखटाया है। अभिभावक का कहना है कि ऑनलाइन पढ़ाई और स्कूल के माहौल में बहुत अधिक अंतर है। स्कूल जाने से बच्चे का मानसिक विकास होता है। अब कोरोना संकट के चलते स्कूल बंद हैं। ऐसे में बच्चों का मानसिक विकास नहीं हो पा रहा है।

उन्होंने आयोग से सोलन के निजी स्कूल से बच्चे के दाखिले के समय जमा करवाई गई फीस को लौटाने की मांग की है। प्रदेश सरकार के पास आयोग के माध्यम से यह मामला आने के बाद अफसरशाही भी पसोपेश में फंस गई है। आयोग ने इस संदर्भ में की गई कार्यवाही की जानकारी देने को भी कहा है। ऐसे में सरकार इस बाबत क्या कर सकती है, इसको लेकर संबंधित विभागों के साथ मंथन शुरू हो गया है। 

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