ब्यूरो:-
हिमाचल पथ परिवहन निगम की भर्तियां विवादों से जुड़ती रही हैं। वर्ष 1998 के बाद हुई अधिकतर भर्तियों में कोई न कोई विवाद खड़ा होता रहा है। एचआरटीसी की अधिकांश भर्तियों का विवाद अदालत तक पहुंचा है और मामले अदालत से ही सुलझते रहे हैं। अब कर्मचारी चयन आयोग द्वारा ली गई भर्ती में अभ्यर्थी द्वारा पेपर फोन पर बाहर भेजने से कंडक्टर भर्ती परीक्षा फिर विवादों में आ गई है।
साल 2003-2004 के दौरान हुई कंडक्टर भर्ती भी विवादों में रही थी। उस समय बीओडी द्वारा कंडक्टर के 300 पद भरने की मंजूरी दी गई थी। यह मंजूरी 24 अक्तूबर, 2003 को प्रदान की गई थी। इसमें सामान्य के 166, ओबीसी के 54, एससी के 66 और एसटी के 14 पद भरे जाने थे। इसके लिए 17 हजार 890 आवेदन आए थे। इसमें 20 सितंबर 2004 को 300 की जगह 365 पद भरे गए।
इसके अलावा आरोप लगा था कि अकेले धर्मशाला डिविजन से करीब 147, नगरोटा बगवां से 73 और रोहडू से अभ्यर्थियों का चयन किया गया था। भर्ती की डिविजन स्तर की मैरिट लिस्ट भी नहीं बनी थी। भर्ती दस्तावेजों में कटिंग व ओवरराइटिंग थी। यह मामला कोर्ट में गया था। कोर्ट के आदेशों पर शिमला पुलिस ने 14 मार्च, 2017 को तत्कालीन निगम डीएम सहित अन्य पांच अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। 2016 में हुई ड्राइवर भर्तिया भी विवादों में रही हैं। इस भर्ती में रोस्टर को फॉलो न करने का आरोप लगा था। यह विवाद भी कोर्ट तक पहुंचा था। 2017-18 में 1078 कंडक्टर पदों के लिए हुई भर्ती पर भी विवाद खड़ा हुआ था। इसमें आरोप था कि भर्ती में ज्यादा अभ्यर्थी एक ही क्षेत्र के उर्तीर्ण हुए थे। वहीं, 2017 के दौरान हुई नौ लेखा अधिकारी की परीक्षा भी विवादों में चल रही है। इसमें भर्ती व पदोन्नति नियमों को दरकिनार करने का आरोप लगा था। यह मामला भी कोर्ट में विचाराधीन है। एचआरटीसी की अधिकांश भर्तिया विवादों में रही है। विवादों में चली सभी भर्तियां अदालत तक पहुंची है। अदालत से ही विवादों को सुलझाया गया है। अब रविवार को आयोजित भर्ती ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। पुलिस इस पर जांच कर रही है।साल 2015-16 के दौरान 498 पदों के लिए हुई भर्ती पर भी बड़ा विवाद हुआ था। यह मामला भी कोर्ट पहुंचा था। अदालत से ही यह मामला सुलझा था। इस भर्ती में एक ही क्षेत्र से 128 अभ्यर्थियों के चयन का आरोप था।
भर्ती के नाम पर पैसा इकट्ठा कर रही सरकार:- पूर्व पथ परिवहन निगम के उपाध्यक्ष केवल सिंह पठानिया ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार के नाक के नीचे कंडक्टर भर्ती का पेपर लीक होने से हजारों युवाओं के साथ खिलवाड़ हुआ है। यह बेरोजगार युवाओं के साथ धोखा है, अगर पेपर ही लीक करना था, तो टेस्ट का बहाना क्यों किया ओर बेरोजगार युवाओ पर आर्थिक बोझ क्यों डाला। प्रदेश की सरकार भर्ती के नाम पर पैसा इकट्ठा करने में लगी है, जबकि हकीकत यह है कि प्रदेश सरकार बेरोजगार युवाओं को रोजगार देना ही नहीं चाहती।
हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग द्वारा संचालित लिपिक पद की परीक्षा में एक परीक्षार्थी ने प्रश्न पत्र की फोटो ही अपने मोबाइल में कैद कर ली। मामला सोलन जिला के एक निजी संस्थान में बनाए गए एग्जामिनेशन सेंटर में सामने आया है। जैसे ही उसने प्रश्न पत्र की फोटो अपने मोबाइल में कैद की, वैसे ही परीक्षा निरीक्षक की नजर उस पर पड़ी और उसे रंगे हाथों पकड़ लिया गया। उसके बाद परीक्षा निरीक्षक ने तत्परता से कार्रवाई करते हुए परीक्षार्थी का मोबाइल जब्त कर उसे परीक्षा हॉल से बाहर कर दिया। तत्पश्चात, उसके बाद परीक्षार्थी के मोबाइल का पूरा डाटा डिलीट किया गया। हालांकि अभी यह जांच का विषय बना हुआ है कि परीक्षार्थी किसी को प्रश्न पत्र भेजने में कामयाब हुआ या नही, लेकिन प्रथम दृष्टयता से प्रशासन का यह कहना है कि जब तक वह किसी को फोटो सेंड करता, उससे पहले ही परीक्षा निरीक्षक द्वारा उसे पकड़ लिया गया। अब परीक्षार्थी का आगामी भविष्य क्या होगा, इसके बारे में तो हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग ही फैसला लेगा।
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कंडक्टर भर्ती का पेपर लीक होने के मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि पेपर लीक होना अपने आप में शर्मनाक घटना है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में लगातार इस प्रकार की घटनाएं हो रही हैं और कोई सबक प्रदेश सरकार ने इन घटनाओं से नहीं लिया है, जो साबित करता है कि प्रदेश का नेतृत्व कमजोर हाथों में चला गया है।
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि शिमला व सोलन के जिन केंद्रों से पेपर बाहर आया, वहां मोबाइल कैसे पहुंचे? व्यवस्था क्यों पुख्ता नहीं थी, यह सवाल अधीनस्थ कर्मचारी चयन आयोग पर भी है। अगर आयोग की परीक्षाओं में ही इस प्रकार की घटनाएं होंगी, तो विभागीय परीक्षाओं पर तो भरोसा ही नहीं हो सकता।
60 हजार युवाओं ने कंडक्टर भर्ती के 598 पदों के लिए आवेदन किया। करीब 304 परीक्षा केंद्र बनाए गए और इस प्रकार की लापरवाही और पेपर लीक जैसी घटना ने बेरोजगारों के साथ धोखा किया। इस पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पुलिस भर्ती, पटवारी भर्ती और अनेक अन्य मसलों पर सवाल उठ चुके हैं और युवाओं के साथ इस प्रकार का अन्याय सहन नहीं किया जा सकता।