बी.आर. अहिरवार
कोई व्यक्ति जंगली जानवर या पालतू जानवर को संभालकर नही रखता है, वह जानवर लोगों को चोट पहुचाए तो उस संबंधित व्यक्ति पर आईपीसी की किस धारा के अंतर्गत मामला दर्ज होगा।
हम गांब से लेकर शहर तक अक्सर देखते हैं कि कुछ लोगो को जंगली जानवर एवं पालतू जानवरों को पालने का बहुत शोक होता है। लोग गाय,भैस, घोड़ा, बकरी, कुत्ता, बिल्ली, बाघ आदि जंगली जानवर एवं पालतू जानवर पालते हैं। अगर इनको पालने वाला व्यक्ति इन पालतू या जंगली जानवरों को संभालकर नही रखता है, और ये जानवर किसी व्यक्ति या जनसाधारण या सार्वजनिक स्थान पर उत्पात मचाते है जिससे लोगों को क्षति होने की संभावना हो या हो जाए तो जानवरों को पालने वाले व्यक्ति(मालिक) पर आप आईपीसी की किस धारा के अंतर्गत मामला दर्ज ह जानिए।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 289 की परिभाषा :-
अगर कोई व्यक्ति जंगली जानवरो या पालतू जानवरों का संरक्षण करता है या उनको पालता है। तब वह निम्न कृत्य करेगा तो वह धारा 289 का दोषी होगा:-
1. जानवरों को खुल्ला छोड़ देगा।जिससे लोंगो को चोट या क्षति होने की संभावना हो।
2. जानबूझकर डोर को ढीली बांधेगा जिससे जानवर को भागने की संभावना हो।
3.पालतू जानवर या जंगली जानवर को आपने नियंत्रण में नहीं रखेगा।
दण्ड का प्रावधान :- इस तरह के अपराध किसी भी तरह से समझौता योग्य नहीं होते हैं। यह अपराध संज्ञये अपराध एवं जमानतीय होते हैं,एवं किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा इनकी सुनवाई की जा सकती हैं। सजा- छ:माह की कारावास या एक हजार रुपये जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।
उधारानुसार वाद :- मोती बनाम राज्य- एक भैंस के मालिक को यह पता था कि उसकी भैस मरखुल(मारने वाली) है और वह लोगो की सींग मारने की आदी हैं, फिर भी उसने उस भैस को खुली छोड़ दी।जिसके परिणामस्वरूप भैस ने एक व्यक्ति को सींग से मारकर आहत कर दिया। इस मामले में न्यायालय ने भैस मालिक को धारा 289 का दोषी ठहराया।