ब्यूरो:-
शिमला:-ऑनलाइन स्टडी के रिजल्ट धीरे- धीरे डराने लगे है। शिक्षा विभाग के पास कुछ शिक्षकों ने रिपोर्ट दी है कि ऑनलाइन तरीके से अब छात्रों को समझाना मुश्किल हो रहा है। परीक्षाएं भी नजदीक हैं, उधर दसवीं व जमा दो के कई छात्र वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से रिस्पांस नहीं कर रहे हैं। सरकारी स्कूल के कुछ शिक्षकों ने इस बाबत विभाग के निदेशक अमरजीत से इस बारे में बताया है। कुछ शिक्षक चाहते हैं कि छात्रों को सोशल डिस्टेंसिंग में स्कूल में बुला देना चाहिए। इससे उन्हें ऐसे विषयों के बारे में एक्स्ट्रा क्लासेज लगाकर समझाया जा सकता है, जिसमें वे कमजोर हैं। बता दें कि मार्च के अंत में बोर्ड की फाइनल परीक्षाएं भी होनी हैं।
ऐसे में अभी से ही बोर्ड एग्जाम के फाइनल रिजल्ट से शिक्षा विभाग डरने लगा है। यही कारण है कि 20 के बाद मेडिकल नॉन मेडिकल के छात्रों को लैब में बुलाने तक की मंजूरी शिक्षा विभाग ने सरकार से मांगी है। यह भी स्पष्ट है कि इस बोर्ड की परीक्षाओं में छात्रों की 30 प्रतिशत सिलेबस में कटौती की गई है।
फिलहाल सरकार व शिक्षा विभाग ने ये संकेत जरूर दे दिए हैं कि हिमाचल में नौवीं से 12वीं तक भी रेगुलर कक्षाएं लगाने में मूड में सरकार अभी नहीं है। इस बीच अहम खबर यह है कि शिक्षा विभाग ने राज्य सरकार से मेडिकल, नॉन मेडिकल व कॉमर्स के छात्रों की रेगुलर क्लासेज लगाने की अनुमति मांगी है।
एक्स्ट्रा क्लासेज लगाने की जरूरत:-शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के सुझाव से अंदाजा लगाया है कि प्रदेश में अभी भी 60 प्रतिशत छात्र ऐसे हैं, जिन्हें स्कूल में आकर एक्स्ट्रा क्लासेज लगाने की जरूरत है। नौवीं से जमा दो तक कमजोर वर्ग के छात्र जो कुछ विषय में पिछड़े हैं, उन्हें समझाने की आवश्यकता है।
यही वजह है कि शिक्षा विभाग अब 18 अक्तूबर का इंतजार कर रहा है। 18 अक्तूबर के बाद जिला उपनिदेशकों से सुझाव आने के बाद शिक्षा विभाग शिक्षकों को पढ़ाई में कमजोर छात्रों की एक्स्ट्रा कक्षाएं सोशल डिस्टेंसिंग में लगाने की छूट दे सकता है।