ब्यूरो:-
कोरोना संकट के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई विद्यार्थियों का सहारा तो बनी लेकिन, इसके नुकसान भी बहुुत हुए हैं। बच्चों को मोबाइल की लत लग गई है। इसका खुलासा 120 अभिभावकों से ऑनलाइन पढ़ाई के फायदे और नुकसान के बारे में जानकारी हासिल करने के दौरान हुआ है। मोबाइल पर वर्चुअल कक्षाओं ने बच्चों के आंख-कान कमजोर कर दिए हैं।
कइयों की सुनने की शक्ति कमजोर हुई तो कइयों की आंखें। बच्चे मोबाइल एडिक्शन डिसआर्डर के शिकार हो रहे हैं। इनमें चिड़चिड़ापन आ गया तथा वह अकेले में रहना पसंद करने लगे हैं। पढ़ाई की जगह बच्चों का रुझान सोशल मीडिया और गेम खेलने की तरफ बढ़ गया।
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मोगीनंद में साइंस कांग्रेस के लिए हुए सर्वे में चौंकाने वाले परिणाम सामने आए हैं। मोगीनंद स्कूल ने पांच नवंबर के बाद होने वाले साइंस कांग्रेस के लिए एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की है।शिक्षक संजीव अत्री की देखरेख में पांच विद्यार्थियों सलौनी सिंह, गुंजन, रूपल, हिमांशु और रितिका ने कुल 120 अभिभावकों से ऑनलाइन पढ़ाई के संदर्भ में नफा-नुकसान के बारे में जानकारी ली। सर्वे के बाद जो परिणाम सामने आए वह चौंकाने वाले थे।
सर्वे में सामने आया कि सात विद्यार्थियों की आंखें कमजोर हुईं तो तीन विद्यार्थियों की सुनने की शक्ति में दिक्कत आई है। 11 विद्यार्थियों में आंखों में जलन, नौ में सिरदर्द, 11 को अनिंद्रा की शिकायत हुई। इतना ही नहीं मोबाइल की लत लगने से बच्चों को भूख प्यास का भी ध्यान नहीं है। 12 ऐसे बच्चों की भूख कम हुई।
सर्वे में सबसे अधिक 41 बच्चे अनवांटेड एक्टिविटी जैसे फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम जैसी सोशल साइटों और गेम खेलने के आदी पाए गए। 82 फीसदी अभिभावक यह तक नहीं जानते कि बच्चे मोबाइल पर क्या करते हैं।
स्कूल के शिक्षक संजीव अत्री ने बताया कि कोरोना संकट के दौरान बच्चों को मोबाइल की लत लग गई है। यह चिंताजनक है। सर्वे में यह खुलासा हुआ है। इसका तोड़ निकालने के लिए स्कूल अपने स्तर पर भी प्रयास कर रहा है।
इसके लिए विशेष मॉडल तैयार किया जाएगा। साइंस कांग्रेस में इस सर्वे की प्रोजेक्ट रिपोर्ट पेश कर सबके समक्ष यह मामला रखा जाएगा।