संवाददाता हेमंत राणा नादौन
नादौन,15 अक्तूबर :- नादौन के बेला गांव के निवासी जाने माने हाकी के राष्ट्रीय कोच रमेश सिंह पठानिया को द्रोणाचार्य लाईफ टाईम अवार्ड मिलने पर पत्रकार संघ नादौन ने उन्हें हिमाचल गौरव सम्मान से सम्मानित किया। इंद्रपाल चौंक पर आयोजित सम्मान समारोह में पत्रकार संघ के अध्यक्ष बीसी सोनल ने संघ की ओर से रमेश पठानिया को हिमाचल गौरव सम्मान प्रशस्ति पत्र व टोपी पहनाकर सम्मानित किया। इस अवसर पर संघ की महासचिव अनुपम शर्मा,वरिष्ठ उपाध्यक्ष राज कुमार जैन,उपाध्यक्ष संजीव बॉबी,अनुशासन समिति के अध्यक्ष हेमंत राणा,शहरी इकाई के अध्यक्ष संजीव कश्यप,संजीव,हैपी जामरा,गुरनाम सिंह,अजय शर्मा,कुसम गोस्वामी, नितिन अंगारिया,विरेन्द्र कुमार,तरसेम कुमार के अलावा जिला परिषद के वाईस चेयरमैंन चंदू लाल सहित कई गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर सोनल ने कहा कि नादौन अपितु हिमाचल प्रदेश का गौरव बढ़ा है। यह अवार्ड महामहीम राष्ट्रपति कोविंद द्वारा दिया गया जिससे नादौन वासियों में खुशी महौल है। इस उपलब्धी के लिए पठानियों को बधाईयां देने वालों का तांता लगा हुआ है। द्रोणाचार्य अवार्ड मिलने पर रमेश सिंह पठानिया का जहां खेल व समाजिक संगठनों द्वारा सम्मानित किए जाने का सिलसिल जारी है वहीं पत्रकार संघ नादौन ने भी उन्हें नादौन के गौरव सम्मान से सम्मानित किया। इस बारे में पत्रकार संघ के अध्यक्ष बीसी सोनल ने कहा कि नादौन के सपूत को खेल के क्षेत्र में कोचों को दिया जाने वाला सबसे बड़ा अवार्ड प्राप्त करके नादौन व प्रदेश का राष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन किया है जिसके लिए राष्ट्रीय कोच बधाई के पात्र हैं।
इस बारे में द्रोणाचार्य लाईफ टाईम अवार्ड प्राप्त करने वाले नादौन निवासी रमेश सिंह पठानिया ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि १४ साल की आयु में हाई स्कूल बोहणी से शुरू किया था। सुजानपुर में वर्ष १९७१ में हुई जिला स्तरीय खेल कूद प्रतियोगिता में भाग लेेते समय तत्कालीन डीपी हमीरपुर बीएस सैन ने हाई सैकेंडरी स्कूल बाल हमीरपुर में दाखिल करवाकर हॉकी के गुर सिखाए। इस दौरान कई प्रतियोगिताओं में भी शानदार प्रदर्शन रहा। हायर सैकेंडरी के गुरू नानक विश्वविद्यालय अमृतसर के स्पोर्टस हॉस्टल खडूरसाहिब में सलैक्षन हो गई। वहाँ पर कोच एचएस मल्ली से प्रशिक्षण प्राप्त किया। स्नातक के बाद जेसीटी मिल फगवाड़ा की हॉकी टीम में सलैक्षन हो गई। उसके बाद वर्ष १९९० में नेशनल इंस्टीचयूट ऑफ स्पोर्टस पटियाला से कोचिंग कोर्स पूरा करने के बाद १९९२ में स्पोर्टस अथॉरिटी ऑफ इंडिया साई ज्वाईन कर लिया। वहीं से कोचिंग का सफर शुरू हो गया। कोच बनने के बाद जिस भी टीम की जिम्मेदारी दी गई उसे बखूबी से निभाते हुए अच्छे परिणामों की वजह से ग्राफ ऊपर ही चढ़ता गया विशेषता यह भी रही जिस भी टीम को प्रशिक्षण देने का जिम्मा मिला वह टीम कोई न कोई अवार्ड प्राप्त करने में सफल रही।
पठानिया ने बताया कि बतौर कोच उन्होंने १६७ अंर्तराष्ट्री खिलाड़ी तैयार किए जिनमें से १९ खिलाडिय़ों ने ऑलंपिक खेलों में भाग लिया। इन १६७ खिलाडिय़ों ने वर्ड कप,ऐशिया कप, ऐसियन गेम,कॉमनबैल्थ गेमस,चैंपियर ट्राफी सॉथ ऐशियन फैडरेशन गेमस साफ गेमस,जूनियर,सब जूनियर व स्कूल इंडिया टिमों में भाग लेकर देश का नाम रोशन किया। इनमें से ७ खिलाडिय़ों को अर्जुन अवार्ड मिला,२ को पदम श्री और एक को राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड मिला। यदि सरकार सहयोग करती है तो वह हिमाचल में हॉकी अकादमी खोलकर हिमालच से अंर्तराष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार करके देश के लिए देना चाहते हैं। नशों से प्रतिभा को उभारने की आवश्यकता है।