करियर प्वाइंट विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के लाॅ विभाग द्वारा हिन्दू उत्तराधिकार कानून में बेटियों के सम्पति अधिकार पर बेविनार का आयोजन किया गया। इस बेविनार के मुख्य वक्ता करियर प्वाइंट विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के.एस.वर्मा व डा. ओ.पी.शर्मा प्रोफेसर लाॅ विभाग दिल्ली विश्वविद्यालय थे। प्रो. के.एस.वर्मा ने कहा कि हिन्दू उत्तराधिकार कानून को 2005 में संशोधित किया गया था किन्तू 15 वर्ष बाद भी इस संशोधन को लेकर न्याय पालिका समय समय पर विरोधाभास वाले निर्णय देती रही है।
अपने व्याख्यान में डा. ओ.पी.शर्मा ने सम्पति, कानून में बेटियों के अधिकार का विस्तार पूर्वक वर्णन किया। प्रो. शर्मा ने सर्वोच्च न्यायालव व उच्च न्यायालय के विभिन्नि निर्णयों जैसे विशाली सतीश केस, फूला वती केस, दन्मा केस तथा 10 अगस्त 2020 के विनिता शर्मा केस का उल्लेख करते हुए बेटियों के उत्तराधिकार का व्याख्यान किया। उन्होंने कहा कि 2005 के संशोधित अधिनियम के तहत पुत्री को भी पुत्र के बरावर अधिकार दिया गया है किंतू समय -समय पर 2005 से पूर्व पुत्रियों के कोपरेनरी विरासत में कोई हिस्सा नहीं मिलता था जबकि तब भी वह प्रथम श्रेणी के उत्तराधिकारीयों में आती थी।
उन्होंने जस्टिक सीकरी द्वारा दिए गए दनाम बनाम अमर केस का हवाला देते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने इस विवाद पर पूर्ण विराम लगाते हुए निर्णय दिया था कि पुत्र एवं पुत्री का पिता की सम्पति में समान अधिकार है। वि.वि. प्रशासन ने लाॅ विभाग के इस सफल आयोजन के लिए बधाई दी है।