ब्यूरो:-
लॉकडाउन हटते ही हिमाचल के लाखों कर्जदार किसानों को बैंकों ने एकाएक झटके दिए हैं। किसानों के खाते ओवरड्यू हो गए हैं। उन्हें मार्च और सितंबर दोनों ही अवधियों तक का ब्याज चुकाने को कहा गया है। इसके लिए छह महीने की मोहलत दी गई है। इससे इस बीच खाते एनपीए तो नहीं होंगे, मगर ब्याज के ऊपर उनको ब्याज देना होगा। इस बार सेब सीजन पहले से ही कमजोर रहा है।
अन्य फसलों के भी यही हाल रहे हैं। गोभी, मटर की फसल को कोरोनाकाल के शुरुआती दौर में किसानों को भूसे के भाव बेचना पड़ा। ऐसे में वे खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। राज्य में लाखों कृषकों के किसान क्रेडिट कार्ड बने हुए हैं। इन पर साढ़े आठ प्रतिशत की दर से उन्हें ब्याज देना होता है। हालांकि, तीन लाख रुपये तक के केसीसी खातों पर चार प्रतिशत सब्सिडी भी दी जा रही है।
अगर तीन लाख से अधिक का कर्ज लिया हो, तो उन्हें साढ़े आठ प्रतिशत की दर से ही ब्याज देना होता है। कोविड काल में किसानों को मार्च महीने में ब्याज नहीं देने की राहत दी गई। किसान क्रेडिट कार्ड में छह माह के बाद ही ब्याज की गणना की जाती है। अगर तय राशि से ऊपर ब्याज देना हो तो इसे चुकाना होता है। इसे पहले तो सितंबर तक टाला गया। अब सितंबर के ब्याज के साथ पिछले ब्याज की गणना करके किसानों के खाते ओवरड्यू कर दिए गए हैं।
राहत के नाम पर उन्हें कहा गया है कि वे इसे मार्च तक चलाएं, पर उन्हें ब्याज के ऊपर ब्याज देना ही होगा। राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के संयोजक रहे सीएल कश्यप ने कहा कि किसानों को ब्याज तो देना ही होता है। पर उन्हें छह माह बाद चुकाने की राहत दी गई है। हिमाचल प्रदेश फल-फूल एवं सब्जी उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान ने कहा है कि किसानों को राहत दी जाए। इस बार फसल कमजोर होने से उनकी स्थिति ठीक नहीं है।