ब्यूरो
हिमाचल के कांगड़ा जिले के टांडा मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान मरीज की मौत होने से हंगामा हो गया।बैजनाथ के गणखेतर निवासी 42 वर्षीय संजीव कुमार को उपचार के लिए डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में लाया गया। मरीज की मौत पर परिजनों ने भारी रोष जताया है। परिजनों का आरोप है कि मौके पर मौजूद चिकित्सीय स्टाफ ने इलाज के दौरान लापरवाही बरती और इस वजह से उनके मरीज की मौत हो गई। मरीज किडनी रोगी थी।
इस मामले की शिकायत परिजनों ने कॉलेज के प्राचार्य डॉ. भानु अवस्थी से फोन पर भी की है। उधर, कॉलेज प्राचार्य ने शिकायत सुनते ही मामले की जांच के आदेश एमएस को दे दिए हैं। यह प्रदेश का दूसरे बड़ा मेडिकल कॉलेज है जहां किडनी रोगी का इलाज नहीं हो पाया।
मृतक के भाई संसार चंद और पिता चतरु राम ने बताया कि पिछले कुछ माह से बीमार चल रहे संजीव कुमार को मंगलवार को उपमंडलीय चिकित्सालय पालमपुर से टांडा के लिए रेफर किया गया। मंगलवार देर रात मरीज को लेकर वे टांडा की इमरजेंसी में पहुंचे। संसार चंद ने बताया कि चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार के बाद मरीज को जल्द से जल्द शिमला या चंडीगढ़ ले जाने के लिए कहा। बुधबार सुबह जब वे मरीज को कहीं आगे ले जाने लगे तब उन्हें बताया गया कि मरीज की कोरोना रिपोर्ट अभी नहीं आई है। उसके बाद जब मरीज को ऑक्सीजन सिलिंडर लगाने का आग्रह किया तब वहां कुछ कर्मियों ने कहा कि सिलिंडर अपने आप लगा लो। सिलिंडर लगाया तो उसमें ऑक्सीजन ही नहीं थी और थोड़ी देर में मरीज ने एंबुलेंस में दम तोड़ दिया। परिजनों का आरोप है कि मरीज के इलाज में देरी और कोताही बरती गई। उधर, कालेज के प्राचार्य डॉ. भानु अवस्थी ने कहा कि फोन पर उन्हें शिकायत की गई थी। जांच के आदेश तुरंत दे दिए गए हैं।
पास के चक्कर में पिस रहे मरीज :-अस्पताल में प्रवेश इमरजेंसी विभाग से ही होता है। मरीज गंभीर हो तो पहले उसका पास बनवाओ। लंबे इंतजार के बाद जब पास बनता है तो फिर इमरजेंसी में लेकर जाओ। फिर जाकर उसके इलाज की प्रक्रिया शुरु होती है।
सुपर स्पेशलिटी ब्लाक भी बंद :- कोरोना पॉजिटिव मरीजों के लिए सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक को ही कोविड सेंटर बना दिया है। हालांकि विशेषज्ञ चिकित्सक दूसरे अस्पताल भवन में बैठते हैं लेकिन मरीज पास के लंबे इंतजार से बचने के चक्कर में यहां न आकर निजी अस्पतालों का रुख कर रहे हैं।