हेमलता मंडी
हिमाचल प्रदेश फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना से किसान न केवल आत्मनिर्भर बन रहे हैं बल्कि दूसरे लोगों को भी रोजगार मुहैया करवा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना, जापान इंटरनेशनल को ऑपरेशन एजेंसी के सहयोग से हिमाचल प्रदेश के पांच जिलों मंडी, कांगड़ा, हमीरपुर, बिलासपुर और ऊना में लागू की गई है।
इस परियोजना के माध्यम से जिला मंडी में 62 उप परियोजनाओं में 1261.46 हेक्टेयर कृषि योग्य क्षेत्र को सुनिश्चित सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। परियोजना के तहत प्रदान की गयी सिंचाई सुविधाओं, सब्जी उत्पादन का आधुनिक एवं तकनीकी ज्ञान, के कारण जायका ने मंडी जिला की तस्वीर बदलकर रख दी है । सिंचाई सुविधाएं मिलने से किसान पारम्परिक खेती छोड़ कर नगदी फसलों की खेती करने लगे हैं।
जिला परियोजना प्रबंधक डा. नवनीत सूद के बताया कि परियोजना के तहत लगभग 1 करोड़ 11 लाख की लागत से खण्ड परियोजना प्रबन्धक इकाई मण्डी व सरकाघाट में कुल 68 हरित गृहों का निर्माण किया गया जिससे किसानों की बेमौसमी सब्जियों व वैज्ञानिक तरीके से पनीरी का उत्पादन कर के आर्थिकी मजबूत हो रही है। परियोजना के लाभार्थी किसानों ने बताया कि परियोजना के लागू होने से पहले किसानों को अपने उत्पाद को मुख्य सड़क तक पहुंचाने के लिए बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता था।पहले वे अपने उत्पादों को पीठ पर ढोह कर मुख्य सड़क तक पहुंचाते थे जिससे उनका समय व श्रम बहुत लगता था।
परियोजना के लागू होने के बाद, किसानों के हित के लिए परियोजना द्वारा 5 करोड़ 37 लाख की लागत से संपर्क मार्गों का निर्माण किया गया जिससे यहां के किसानों के समय व श्रम की बचत हो रही है।
परियोजना के तहत खण्ड परियोजना प्रबन्धक इकाई मण्डी व सरकाघाट में कुल 7 संग्रहण केंद्रों का निर्माण किया गया जिन पर लगभग 3 करोड़ 88 लाख रुपए व्यय किया गया। हुआ। साथ ही साथ संग्रहण केंद्रों मे किसानों की सुविधा के लिए कूलिंग चैम्बर, एप्पल ग्रेडिंग लाइन, सीलिंग मशीन जैसी मशीनरी भी उपलब्ध करवाई गयी जिस पर लगभग 1 करोड़ 5 लाख रूपए का खर्चा किया गया।
डा. सूद ने बताया कि किसानों की फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियां जैसे समय समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम और प्रक्षेत्र प्रदर्शनों का आयोजन किया गया । साथ ही साथ किसानों को विभिन्न प्रकार की कृषि मशीनरी जैसे पावर टिलर, ब्रशकट्टर, नैप सैकस्प्रे, इत्यादि प्रदान की गई, जिसमे परियोजना द्वारा लगभग 11 करोड़ 36 लाख रुपए किसानों के हित के लिए लगाए गए। जिससे लोगा की आय में वृद्धि व समय की बचत हुई।
परियोजना के लाभार्थी किसानों के अनुसार हिमाचल प्रदेश फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना जिला मण्डी के किसानों के लिए बहुत मददगार सिद्ध हो रही है। सब्जियों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए व केंचुआ खाद तैयार करने के लिए भी जायका ने खण्ड परियोजना प्रबन्धन इकाई मण्डी व सरकाघाट में लगभग 60 लाख की लागत से कुल 682 केंचुआ खाद खडों (वर्मीपिट्स) का निर्माण किया है। जिससे न केवल मृदा की उपजाऊ क्षमता भी बढ़ी है, साथ ही साथ जैविक खेती को भी बढ़ावा मिला ।
खण्ड परियोजना प्रबन्धन इकाइ मण्डी की उप परियोजना शिलियाली कटौला के किसान इमाम हुसैन है जिन्होंने जायका की मदद से पिछले बीते वर्ष में 4.25 बीघा में विदेशी सब्जियों जैसे ब्रोकोली, रेडकैबेज, चाइनीस कैबेज व सेलरी लगाकर लगभग 2.5 लाख का मुनाफा कमाया । वहीं बहाव सिंचाई योजना-चलाहर गुलाड जिसका कुल कृषि योग्य क्षेत्र 57.07 हेक्टेयर है, वहां के किसान जायका की ही मदद से व्यवसायिक पैमाने पर टमाटर, फ्रेंचबीन, गोभी, लहसुन और मटर जैसी नकदी फसलों की खेती कर रहे है।इस परियोजना के किसानों ने वर्तमान सीजन के दौरान अपने टमाटर की उपज से लगभग 5 करोड़ 12 लाख रुपए की कमाई की है।बहाव सिंचाई योजना-कुंडला से गलीरोपा के प्रगतिशील किसान जैसे सरेन्द्र कुमार, नारायण दास, रमेश कुमार व हुकुम चंद ने इस वर्ष 9.5 बीघा क्षेत्र में खीरे से लगभग 4.5 लाख रूपए का मुनाफा कमाया। परियोजना के सहयोग से किसानों के खेतों मे लहलहा तीन गदी फसलों से किसानों की आय मे बहुत वृृद्धि हुई है।