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देवभूमि के पांच देवी-देवता बिना न्योता के ढालपुर पहुंचने से देवशक्ति कायम होने का आभास !

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व्युरों:-

कुल्लू:- भले ही कोरोना संकट के चलते दशहरा उत्सव को सुक्ष्म तरीके से मनाया जा रहा है। यह उत्सव कई सालों बाद इतिहास बनेगा। देवभूमि के देवी-देवता भगवान रघुनाथ जी की चाकरी किए बिना शक्तियां अधूरी मान रहे हैं और  पांच अतिरिक्त देवी-देवता भगवान रघुनाथ जी से शक्तियां अर्जित करने के लिए ढालपुर पहुंचे।

देवभूमि के पांच देवी-देवता बिना न्योता के ढालपुर पहुंचने से देवशक्ति कायम होने का आभास लोगों में महसूस हो रहा है। जिला प्रशासन एवं दशहरा कमेटी ने दशहरा उत्सव की परंपरा को मनाने के लिए जिला के मुख्य सात देवी-देवता अधिकृत किए थे, लेकिन अधिकृत देवी-देवताओं के अलावा पांच अतिरिक्त देवी-देवता भगवान रघुनाथ जी की चाकरी को ढालपुर पहुंचे हैं। अब संख्या 12 पहुंच गई है। सोमवार को इतिहास बनने वाली देव शक्ति यह भी दिखी कि पलीकूहल क्षेत्र के रंखडू गांव की देवी दुर्गा माता मात्र नौ कारकूनों के संग दशहरा उत्सव के दूसरे दिन भगवान रघुनाथ जी के दर पहुंची। माता एक बजे के आसपास अठारह करडू की सौह में रथ में विराजमान होकर पहुंची। माता के आदेशों का पालन करते हुए हारियानों ने देवरथ को ढालपुर पहुंचाया।

सबसे पहले दुर्गा माता ने भगवान रघुनाथ जी के अस्थायी शिविर में जाकर देव मिलन किया। इस दौरान माता ने गूरवाणी में यह भी कहा कि वह महाराज की चाकरी करने पहुंची है। इस चाकरी के साथ देश में फैली बीमारी को दूर करने का भी गूरवाणी में आह्वान किया। इस इसके बाद माता सीधी  राजा की चानणी गई। तुरंत बाद माता देवों के देव बिजली महादेव के दर पहुंची। उस दौरान माता ने अपने कारकनों को ब्रह्मा सहित यहां पहुंचे सभी देवी-देवताओं से भव्य देव मिलन करने के आदेश दिए। रघुनाथ जी के बाद आदि ब्रह्मा-नारायण देवताओं से मिलने के लिए कहा।

माता  रैला के देवता लक्ष्मी नारायण, हलाणा के देवता धूंबल नाग, मेहा के देवता श्री नारायण और फिर खोखण के देवता आदिब्रह्मा से देव मिलन करने पहुंची। इसके बाद काथीकुकड़ी के देवता हरिनारायण और फिर माता पीज के देवता जम्दग्नि ऋषि और इसके बाद सीधी डमचीन के देवता वीरनाथ से मिलन पहुंची। इस दौरान देवता वीरनाथ भी अपने अस्थायी शिविर से बाहर निकले और दोनों देवी-देवता ने भव्य देव मिलन किया। इसके बाद माता अन्य देवी माताओं से मिलन पहुंची। बता दें कि जैसे ही माता दशहरा मैदान पहुंची तो लोगों की भीड़ भी देव शिविरों की ओर दौड़ पड़ी। दशहरा उत्सव के दूसरे दिन माता दुर्गा का यहां पहुंचना आकर्षण का केंद्र रहा। मात्र आधा घंटे में माता ने यहां विराजमान 11 देवी-देवताओं से भव्य मिलन किया।

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