नाहन-प्रदीप कल्याण:- कोरोना महामारी के चलते देश व प्रदेश में लगे लॉकडाउन व कफ्र्यू ने सभी की कमर तोड़ कर रखी दी है। जहां बड़े काम धंधों पर असर हुआ तो वहीं छोटे दिहाड़ी मजदूरी करने वाले लोगों को भी लॉकडाउन में अपना जीवन यापन करने के लिए कड़ी मश्कत करनी पड़ी है। दिहाड़ी मजदूरी करने वाले पशु मालिक आर्थिक स्थिति बिगडऩे के बाद पशुओं के लिए चारा व भूसा भी खरीद नहीं पाए है।
ऐसा ही एक व्यक्ति अंबर सिंह है जो रोजाना अपनी गाय के लिए घास पत्ति लेने के लिए शहर से 4 किलोमीटर दूर जंगल में पैदल जाता है। नाहन के समीप झंडाजी के 55 वर्षीय अंबर सिंह का कहना है कि लॉकडाउन के चलते जहां काम धंधों पर असर हुआ तो वहीं कोरोना महामारी के डर से कहीं काम पर बाहर जाना भी खतरे से खाली नहीं लगता। जिस कारण आर्थिक स्थिति बिगड़ी है। पशुओं के लिए भूसा न खरीद पाने के चलते वह अब रोजाना जंगल से घास पत्ति लेने के लिए 4 किलोमीटर पैदल चलते है। तो पशुओं का पेट भरता है।